The Ultimate Guide To भाग्य Vs कर्म
The Ultimate Guide To भाग्य Vs कर्म
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तनाव हमारी परफोर्मेंस पर असर डालता है
ज्योतिष कर्मशास्त्र का ही एक हिस्सा है भाग्य को कोई काट नहीं सकता, भाग्य ने जो लिख दिया समझो लिख दिया। इस बात से डरने की कोई वजह नहीं, क्योंकि भाग्य भी हम ही बनाते हैं।
और अगर आप पूर्व जन्म की बात करें तो फिर उस लॉजिक से कुछ भी समझाया जा सकता है!
ek story hai jab aambari namak ek hathi tha vh talab mai fas gaya usne bahot koshish ki uss kichad se bahar nikal ne ka but nahi nikla past mai usne bhagvan ko yad kiya bghvan ne uski madat ki, because god ne madat isliye kiya ki usne 1st test kiya and previous mai bhagwan ko bulaya vahi identical aapne bhagya and भाग्य Vs कर्म karm ka hota hai agr hum karm krenge to aapne nasib mai jo hai vh mechanically mil Hello jayega implies karm ka fal.
कर्म एक ऐसा सिद्धांत है जो भाग्य को समझने में मदद करता है। हम मानते हैं कि केवल हमारे कार्य ही कर्म हैं, जबकि हमारे द्वारा सोचे गए हर विचार और बोले गए हर शब्द भी कर्म के निर्माण में भूमिका निभाते हैं। “जैसा मेरा कर्म, वैसा मेरा भाग्य।” यही वह नियम है जो हर व्यक्ति के भाग्य को निर्धारित करता है। कर्म को समझना हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि प्रत्येक कार्य, शब्द और विचार का एक परिणाम होता है और यह हमें बेहतर बनने के लिए प्रेरित करता है।
रंजीत पासवान जी का एक neutral see जो अच्छा लगा यहाँ include कर रहा हूँ:
पूरे देश घूम – घूम कर जनसभाएं की
अध्यात्म में भी कर्म के सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति जितने भी कष्ट भोगता है या उसके भाग्य में जो दुर्गति लिखी होती है, वो उसके संचित कर्मों (पिछले जन्मों के बुरे कर्मों ) का परिणाम होती है। इसलिए, अगर आपके खाते में बुरे कर्म हैं, तो ये आवश्यक है कि आप अच्छे कर्मों को कर अपने भाग्य के परिणाम को बदलने की कोशिश करें या उन बुरे कर्मों को नष्ट करें।
« निर्भय सन्यासी स्वामी विवेकानंद की स्पष्टवादिता
यदि आप इस बात से सहमत नहीं हैं कि -“कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
मैं-जी, मैं आपसे ज्योतिष सीखने की इच्छा से आया हूं।
कर्म की मुख्य अवधारणा यह है कि सकारात्मक कार्य से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है और नकारात्मक कार्य का परिणाम नकारात्मक होता है। इन दोनों के बीच कारणिक संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति को शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रतिदिन निर्धारित करता है।
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